हिन्दी व्याकरण भाषा के नियमों, रूपों, और संरचना का अध्ययन करने वाली विद्या है। यह व्यक्ति को सही बोलने और लिखने में मदद करता है। वर्णमाला एक भाषा की स्वरूप, उच्चारण, और लेखन के लिए उपयोग होने वाले वर्णों का समूह है। हिन्दी वर्णमाला में ५२ वर्ण होते हैं, जिनमें ११ स्वर, 2 अयोगवाह और ३९ व्यंजन शामिल हैं। स्वरों की उच्चारण में विभिन्न स्थानों पर जीवन्तता है और व्यंजन वर्णों का सही उपयोग लेखन और उच्चारण में महत्वपूर्ण है। हिन्दी वर्णमाला का अच्छा समझारूप, विविध रूप, और उपयोगकर्ता के लिए सुविधाजनक होता है, जिससे लेखन और बोलचाल में सुधार होता है। इससे नए शब्दों का अध्ययन और सीखना भी सरल होता है। आइए जानते है की वर्णमाला किसे कहते है ? स्वर और व्यंजन के भेद (Hindi Alphabets)
- वर्णमाला का शाब्दिक अर्थ
- वर्णमाला की परिभाषा क्या है ?
- वर्णमाल के कितने भेद है ?
- स्वर और व्यंजन कितने है ?
- प्रश्नोतरी
वर्णमाला का शाब्दिक अर्थ :-
मौखिक भाषा को स्थायी रूप देने के लिए लिखित भाषा खोज हुई है । लिखित भाषा के लिए लिपि आवश्यक है । हम बोलते है तो ध्वनि निकलती है । रेखाओं के द्वारा उस ध्वनि का ध्वनि - चिन्ह बनाया जाता है । इस ध्वनि चिन्ह को वर्ण या अक्षर कहते है । वर्णों के समूह को वर्णमाला या लिपि कहते है । प्रत्येक विकसित भाषा की अपनी वर्णमाला या लिपि होती है । संसार में अनेक भाषाएँ है ।
- वर्ण की परिभाषा :- भाषा की सबसे छोटी ईकाई ध्वनि है । इस ध्वनि को 'वर्ण' कहते है |
- वर्णमाला की परिभाषा :- वर्णों के व्यवस्थित समूहो को 'वर्णमाला' कहते है ।
मूलत: वर्ण के दो प्रकार होते है । एक वे जिसके उच्चारण में साँस मुख से किसी भाग का स्पर्श के बिना सीधी बाहर नीकलती है और दूसरे वे जिनका उच्चारण करते समये साँस मुख के किसी भाग के स्पर्श (जिहवा, तालु, ओष्ठ या मूर्छा आदि) से तनिक रुक या हल्की सी रगड़ खाकर बाहर निकलती है । इस प्रकार वर्णों के मुख्य दो प्रकार या भेद है ।
(1) स्वर
(2) व्यंजन
(1) स्वर :- जिन ध्वनियाँ के उच्चारण में साँस बिना किसी बाधा के मुख से बाहर निकलती है उसे स्वर कहते है ।
मूलतः हिन्दी में ऊच्चारण के आधार पर 45- वर्ण (10-स्वर + 35 व्यंजन) एवं लेखन के आधार पर 52- वर्ण ( 13 स्वर + 35 व्यंजन +4 संयुक्त व्यंजन) है । -
स्वर :- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, (ऋ), ए, ऐ, ओ, औ, (अं), (अ) = 10 + (3)=13
स्वर के तीन प्रकार :-
(i) हस्व स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में कम से कम समय लगता है उन्हें 'हस्वस्वर' कहते है।
-जैसे की अ, इ, उ, ऋ ये चार स्वर है ।
(ii) दीर्घ स्वर :- जब कोई स्वर अपने साथ जुड़ता है तब दीर्घ स्वर कहते है |
(1) स्वरतंत्रिया ज्यादा कंपीत होती है ।
(2) आवाज की तीव्रता अधिक होती है ।
(3) मात्राकाल दुगना होता है ।
-जैसे की आ, ई, ऊ आदि ।
(iii) संयुक्त स्वर :- जब किसी स्वर के साथ कोई अन्य स्वर जुड़ता है तब संयुक्त स्वर होता है |
-जैसे की ए, ऐ, ओ आदि ।
(iv) पलुत स्वर :- जिनके उच्चारण में दीर्घस्वर से भी अधिक समय लगता है । किसी को पुकारने में या नाटक के संवादो में इनका प्रयोग किया जाता है ।
-जैसे की (राम) |
अयोगवाह जानकारी के लिए -
- विसर्ग :- जब किसी स्वर के पीछे दो बिंदी लगाई जाती है तब उसे विसर्ग कहते है । उसका उच्चारण 'ह' रूप में होता है| -जैसे की प्रातः, प्राय:
- अनुस्वार :- जब किसी स्वर के माथे पर बिंदी लगाई जाती है तब उसे अनुस्वार होता है | -जैसे की पंकज, चंदन, कंबल आदि ।
स्वरो का वर्गीकरण :-
स्वरो का वर्गीकरण मुख्यतः दो प्रकार से होता है ।
(1) स्थान के आधार पर
(2) प्रयत्न के आधार पर
(1) स्थान के आधार पर :- इसका आशय है मुख के स्थित अवयव जिनका सहयोग स्वर के उच्चार में लिया जाता है ।
(1) कण्ठ्य - अ, आ, अ:
(2) तालव्य - इ, ई
(3) मूर्धन्य - ऋ
(4) कण्डय तालव्य – ए, ऐ
(5) ओष्ठय - उ, ऊ
(6) कंठयोष्ठ - ओ, औ
(7) अनुनासिक - अं
(2) प्रयत्न के आधार पर:- स्वरो के उच्चारण में मूल रूप से जिहवा की ऊंचाई उसके भाग तथा होठो के स्थिति पर आदि विचार किया जाता है। जैसे की-
(i) जिहवा के ऊंचाई के आधार पर
- संवृत - इ, ई, उ, ऊ
- अर्धसंवृत - ऐ, ओ
- निवृत - आ
- अर्धनिवृत – अ, ए, औ, आँ
(ii) जिहवा के भाग के आधार पर
- अग्र स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का अग्र भाग काम करता है ।
- (इ, ई, ए, ऐ)
- मध्य स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग काम करता है ।
- (आ )
- पश्च स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पश्च भाग काम करता है ।
- (आ, उ, ऊ, ओ, औ)
- अवृत मुखी :- जिन स्वरों के उच्चारण में ओंठ व्रतमुखी या गोलाकार नही होते है ।
-(अ, आ, इ, ई, ए, ऐ )
- वृत मुखी :- जिन स्वरों के उच्चारण में ओंठ व्रतमुखी या गोलाकार है ।
-(उ, ऊ, ओं)
- निरनुनासिक स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुँह से निकलती है।
-(अ, आ, इ आदि )
- अनुनासिक स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में हवा नाक से निकलती है।
-(अँ, आँ, इँ )
(v) घोषत्व के आधार पर :- घोष का अर्थ है स्वरतंत्रियों में साँस का कंपना स्वरतंत्र में जब कंपन होता है। तो 'सघोष' ध्वनियाँ उत्पन्न होती है। सभी स्वर 'सघोष' ध्वनियाँ होती है ।
व्यंजन :-
वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में वायु मुख विवरसे निर्माद गति से निकल नहीं पाति अवृद्ध होती है । संकिर्ण मार्ग से निकलना पडता है उन्हें व्यंजन कहते है । व्यंजनो का उच्चारण बिना स्वर के नहीं हो सकता जैसे की क=क+अ, च=च+अ
व्यंजनो का वर्गीकरण
(1) स्थान और प्रयत्न के आधार पर
(2) घोषत्व के आधार पर
(3) प्राणत्व के आधार पर
(1) स्थान और प्रयत्न के आधार पर
स्पर्श - संघर्षी ध्वनियाँ का चार्ट
|
अ.नं |
वर्ग |
स्थान |
व्यंजन - ध्वनियाँ |
||||
|
1 |
क |
कंठ्य |
क |
ख |
ग |
घ |
ड |
|
2 |
च |
तालव्य |
च |
छ |
ज |
झ |
ञ |
|
3 |
ट |
मूर्धन्य |
ट |
ठ |
ड |
ढ |
ण |
|
4 |
त |
दंत्य |
त |
थ |
द |
ध |
न |
|
5 |
प |
ओष्ठ्य |
प |
फ |
ब |
भ |
म |
|
6 |
य |
अंतस्य |
य |
र |
ल |
व |
|
|
7 |
श |
उष्म |
श |
ष |
स |
ह |
|
|
8 |
ज्ञ |
संयुक्त |
ज्ञ |
त्र |
स |
श्र |
|
( 2 ) घोषत्व के आधार पर
घोष का अर्थ है स्वरतंत्रियों में ध्वनि का कंपना ।
-जैसे की ला, रा
सघोष :- जिन ध्वनियाँ के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन हो ।
-जैसे की था, वाँ (चांद)
(3) प्राणत्व के आधार पर - यह प्राण का अर्थ हवा से है ।
- अल्पप्राण :- जिन व्यंजनों के उच्चारण में मुख से कम हवा निकलती है उसे अल्पप्राय कहते है ।
- महाप्राण :- जिन व्यंजनो के उच्चारण में मुख से अधिक हवा नीकलती है उसे महाप्राण कहते है ।
Hindi Varnmala PDF download
में आशा करता हूँ की आपको वर्णमाला की जानकारी अच्छी लगी होगी । कई सारे छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा अच्छी उपलब्ध नहीं है । जिसके कारण ओनलाइन कापी को पढ़ने के लिए समस्या का सामना करना पड़ता है । इसलिए आपके लिए Hindi ek Safar ने pdf तैयार किया गया है आप निम्न दिए गए link से pdf download कर सकते है ।
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💠 वर्णमाला में से अधिक पूछे जाने वाले प्रश्न निम्नलिखित है ।
प्रश्न 1. वर्ण की परिभाषा दीजिए ?
उतर :- भाषा की सबसे छोटी ईकाई ध्वनि है । इस ध्वनि को 'वर्ण' कहते है |
प्रश्न 2. वर्णमाला की परिभाषा दीजिए ?
उतर :- वर्णों के व्यवस्थित समूहो को 'वर्णमाला' कहते है ।
प्रश्न 3. वर्ण के मुख्यतः कितने प्रकार है ?
उतर :- वर्ण के मुख्यतः दो है। (i) स्वर और (ii) व्यंजन
प्रश्न 4. स्वर की परिभाषा दीजिए ?
उतर :- जिन ध्वनियाँ के उच्चारण में साँस बिना किसी बाधा के मुख से बाहर निकलती है उसे स्वर कहते है ।
प्रश्न 5. स्वर के कितने प्रकार है और कौन - कौन से ?
उतर :- स्वर के तिन प्रकार है (i) हस्व स्वर (ii) दीर्ध स्वर (iii) संयुक्त स्वर
प्रश्न 6 . विसर्ग किसे कहते है ?
उतर :- जब किसी स्वर के पीछे दो बिंदी लगाई जाती है तब उसे विसर्ग कहते है । उसका उच्चारण 'ह' रूप में होता है| - जैसे की प्रातः, प्राय:
प्रश्न 7. अनुस्वार किसे कहते है ?
उतर :- जब किसी स्वर के माथे पर बिंदी लगाई जाती है तब उसे अनुस्वार होता है | -जैसे की पंकज, चंदन, कंबल आदि ।
प्रश्न 8. स्वर के वर्गीकरण के आधार पर कितने प्रकार है ?
उतर :- मुख्यतः दो प्रकार है (i) स्थान के आधार पर (ii) प्रयत्न के आधार पर
प्रश्न ९. स्थान के आधार पर स्वर के कितने प्रकार है ?
उतर :- स्थान के आधार पर सात प्रकार है
(1) कण्ठ्य - अ, आ, अ:
(2) तालव्य - इ, ई
(3) मूर्धन्य - ऋ
(4) कण्डय तालव्य – ए, ऐ
(5) ओष्ठय - उ, ऊ
(6) कंठयोष्ठ - ओ, औ
(7) अनुनासिक - अं
- अग्र स्वर
- मध्य स्वर
- पश्व स्वर
स्थान और प्रयत्न के आधार पर
प्राणत्व के आधार पर
घोषत्व के आधार पर
- कंठ्य
- तालव्य
- मूर्धन्य
- दंत्य
- ओष्ठ्य
- अंतस्य
- उष्म
- संयुक्त
- अघोष
- सघोष
- अल्पप्राण
- महाप्राण

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