‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ कविता । Hindi poem ।

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'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' कविता में हम कोशिश करने वालों की महत्वपूर्णता को महसूस करते हैं। जीवन के सफर में कभी-कभी हार-जीत मिलती है, परंतु हमें कभी भी आत्मविश्वास खोने का अधिकार नहीं है। कोशिश करने का मतलब हार नहीं मानना है, बल्कि सीखना है कि हर असफलता एक नया कदम है। यह कविता हमें बताती है कि जीवन को आगे बढ़ाने का सच्चा रास्ता असफलता से होकर ही जाता है।


'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' कविता

             गर कोई हम से इन पंक्तियों के रचियेता का नाम पूछेतो हम कहेंगे की हरिवंश राय बच्चन । बहुत जगह यह कविता बच्चन जी के नाम से के साथ ही साझा की जाती है और कई मौकों पर अमिताभ बच्चन ने भी इसे पढ़ा है। ऐसे मेंजाहिर है कि शायद ही कोई जानता हो कि यह कविताहरिवंश राय बच्चन ने नहींबल्कि हिंदी साहित्य के एक और महान कवि सोहन लाल द्विवेदी ने लिखी है यह बड़ी ही सुन्दर है और जो लोग निराश होकरहार मानकर बैठ गये है । उनके लिए यह कविता दुबारा कोशिश करने का प्रेरणा देता है।

परिचय :-

          2फरवरी सन् 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की तहसील बिन्दकी ग्राम सिजौली नामक स्थान पर जन्मे सोहनलाल द्विवेदी हिंदी काव्य-जगत की अमूल्य निधि थे। उन्होंने हिन्दी में एम.. तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया है। राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालो में इनका स्थान मूर्धन्य है। महात्मा गांधी पर इन्होंने कई भाव पूर्ण रचनाएँ लिखी हैजो हिन्दी जगत में अत्यन्त लोकप्रिय हुई हैं। इन्होंने गांधीवाद के भावतत्व को वाणी देने का सार्थक प्रयास किया है तथा अहिंसात्मक क्रान्ति के विद्रोह व सुधारवाद को अत्यन्त सरल सबल और सफल ढंग से काव्य बनाकर 'जन साहित्य' बनाने के लिए उसे मर्मस्पर्शी और मनोरम बना दिया है।


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          सोहनलाल द्विवेदी हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के इस रचयिता को राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावितद्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं। 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था।




कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ कविता


         लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती ।

     कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।

 

          नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है ।

         चढ़ती दीवारों परसौ बार फिसलती है ।।

 

         मन का विश्वास रगों में साहस भरता है ।

     चढ़कर गिरनागिरकर चढ़ना न अखरता है ।।

 

         आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ।

       कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।

 

          डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है ।

       जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।।

                                       

          मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में ।

             बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ll

 

         मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती ।

      कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।

 

      असफलता एक चुनौती हैस्वीकार करो ।

      क्या कमी रह गईदेखो और सुधार करो ।।

 

      जब तक न सफल होनींद चैन को त्यागो तुम ।

         संघर्ष का मैदान छोड़ कर  मत भागो तुम ।।

 

     कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती ।

    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।



कविता का भावार्थ :-

'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' यह कथन भारतीय कवि सोहनलाल द्विवेदी के लेखन का हिस्सा है और इसका भावार्थ बहुत गहरा है। उनकी इस कविता में उन्होंने मनोबल और आत्मविश्वास की महत्ता को सुनिश्चित करने के लिए यह सिखाया है कि कोशिश करने वाले कभी भी हार नहीं मानते हैं।

कविता में सोहन लाल द्विवेदीने जीवन के सफलता के मार्ग पर चलने वाले लोगों के लिए प्रेरणा भरा संदेश दिया है। उनका कहना है कि जीवन में मुश्किलें आती रहती हैं, परंतु जो व्यक्ति कोशिश करता रहता है, वह हमेशा अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करता रहता है और आखिरकार सफल होता है। सोहन लाल द्विवेदीने यह भी बताया है कि सफलता का मार्ग सीधा नहीं होता, बल्कि इसमें बहुत सी चुनौतियाँ आती हैं, परंतु यदि किसी ने ठान लिया है कि वह कोशिश करेगा और हार नहीं मानेगा, तो उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने में सफलता मिलती है। इस कविता में नन्हीं चींटी, गोताखोर के उदाहरण के द्वारा समझाय गया है
इस कविता में समर्थन की भावना, उत्साह, और संघर्ष की महक है, जो हमें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचने के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। हर कदम पर कोशिश और मेहनत का महत्व बताया गया है, ताकि हम कभी भी अपने लक्ष्यों से हार न जाएं और समर्थन में हमें आत्मविश्वास मिले। इसके साथ ही, जीवन को एक अद्वितीय सफर के रूप में देखने का सुझाव दिया गया है, जिसमें हर मोड़ और मुश्किल से हमें कुछ सिखने का अवसर मिलता है।

      


         उम्मीद करता हूँ की आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा अगर आपको इसके बारे में समझने में कोई दिक्कत हो या कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है हम आपके प्रश्न का उत्तर जरूर देंगे। आपको ऐसी ही और मोटिवेशनल पोस्ट चाहिए तो कॉमेंट कीजिए ।


💠 अतिलाघुतरी प्रश्नोतरी 


प्रश्न 1. सोहनलाल द्रिवेदी जन्म कब और कहा हुआ था ?

उतर :- 22 फरवरी सन् 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की तहसील बिन्दकी ग्राम सिजौली नामक गावं में हुआ था 


प्रश्न 2. सोहनलाल द्रिवेदी को १९६९ में भारत सरकार ने किस उपाधि से सन्मानित किया था ?

उतर :- पद्मश्री उपाधि से भारत सरकार ने सोहनलाल द्रिवेदी को सन्मानित किया था ।


प्रश्न 3. इस कविता की प्रमुख पंक्ति कौन सी है ?
उतर :-    लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती ।

       कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।


प्रश्न 4. कवि क्या करते रहने से कभी हार नहीं होती बताया है ?

उतर :- कविने कोशिश करते रहने से कभी हार नहीं होती बताया है 


प्रश्न 5. इस कविता  में कविने दूसरी  प्रमुख पंक्ति कौन सी बताई है ?

उतर :-  असफलता एक चुनौती हैस्वीकार करो ।

           क्या कमी रह गईदेखो और सुधार करो ।।

 

 

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