'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' कविता में हम कोशिश करने वालों की महत्वपूर्णता को महसूस करते हैं। जीवन के सफर में कभी-कभी हार-जीत मिलती है, परंतु हमें कभी भी आत्मविश्वास खोने का अधिकार नहीं है। कोशिश करने का मतलब हार नहीं मानना है, बल्कि सीखना है कि हर असफलता एक नया कदम है। यह कविता हमें बताती है कि जीवन को आगे बढ़ाने का सच्चा रास्ता असफलता से होकर ही जाता है।
'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' कविता
परिचय :-
22 फरवरी सन् 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की तहसील बिन्दकी ग्राम सिजौली नामक स्थान पर जन्मे सोहनलाल द्विवेदी हिंदी काव्य-जगत की अमूल्य निधि थे। उन्होंने हिन्दी में एम.ए. तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया है। राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालो में इनका स्थान मूर्धन्य है। महात्मा गांधी पर इन्होंने कई भाव पूर्ण रचनाएँ लिखी है, जो हिन्दी जगत में अत्यन्त लोकप्रिय हुई हैं। इन्होंने गांधीवाद के भावतत्व को वाणी देने का सार्थक प्रयास किया है तथा अहिंसात्मक क्रान्ति के विद्रोह व सुधारवाद को अत्यन्त सरल सबल और सफल ढंग से काव्य बनाकर 'जन साहित्य' बनाने के लिए उसे मर्मस्पर्शी और मनोरम बना दिया है।
सोहनलाल द्विवेदी हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के इस रचयिता को राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित, द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं। 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था।
‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ कविता
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है ।
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है ।
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है ।
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में ।
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ll
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो ।
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम ।
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
प्रश्न 1. सोहनलाल द्रिवेदी जन्म कब और कहा हुआ था ?
उतर :- 22 फरवरी सन् 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की तहसील बिन्दकी ग्राम सिजौली नामक गावं में हुआ था ।
प्रश्न 2. सोहनलाल द्रिवेदी को १९६९ में भारत सरकार ने किस उपाधि से सन्मानित किया था ?
उतर :- पद्मश्री उपाधि से भारत सरकार ने सोहनलाल द्रिवेदी को सन्मानित किया था ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
प्रश्न 4. कवि क्या करते रहने से कभी हार नहीं होती बताया है ?
उतर :- कविने कोशिश करते रहने से कभी हार नहीं होती बताया है ।
प्रश्न 5. इस कविता में कविने दूसरी प्रमुख पंक्ति कौन सी बताई है ?
उतर :- असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो ।
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।।

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